राणा कुम्भा का इतिहास परिचय | Rana Kumbha History in Hindi 10 Awesome Facts
वीरों की जन्मस्थली राजस्थान में सैकड़ो वीर और वीरांगनाएँ हुई है, जिनका नाम सुनकर ही दुश्मन थर्रा उठता था। ऐसा ही एक शूरवीर योद्धा राणा कुम्भा ( Rana Kumbha History in Hindi ) मेवाड़ की पावन धरा में पैदा हुवा था, जिसने समस्त भारतवर्ष में वीरता का लोहा मनवाया था।
राणा कुम्भा को इतिहास में महाराणा कुम्भकर्ण या कुम्भकर्ण सिंह के नाम से भी जाना है। मेवाड़ के इतिहास में राणा कुम्भा का नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है, आज हम आपको इसी वीर के जीवन पर संक्षिप्त प्रकाश डाल रहे है, आशा हे आपको यह लेख पसंद आवेगा।
राणा कुम्भा की जीवनी ( Rana Kumbha Biography Hindi )
राणा कुम्भा भारतीय इतिहास में सुप्रसिद्ध नाम है, मेवाड़ रियासत की गद्दी पर राणा मोकल जी की मृत्यु के बाद वि.सं. 1490 में राणा कुम्भा का राजतिलक हुवा था। कुम्भा भारतीय स्थापत्य कला को बढ़ावा देने वाले शासक थे, राणा कुम्भा को ही “चितौड़गढ़ दुर्ग” का आधुनिक निर्माता कहाँ जाता है, क्योकि इनके काल में भी वर्तमान किले का स्वरुप निखारा गया था।
आप इसी बात से अंदाजा लगाइये की वह कितने बड़े निर्माता थे की मेवाड़ में निर्मित 84 किलों में से अकेले 32 किलों का निर्माण तो राणा कुम्भा के शासन में हुवा था। सबसे महत्वपूर्ण यह की कुंभलगढ़ किले में ही करीब 300 मंदिरो का निर्माण करवाया था Rana Kumbha ने।
राणा कुम्भा का प्रारंभिक जीवन – Rana Kumbha early life hindi
राणा कुम्भा के पिता का नाम महाराणा मोकल था एवं माता का नाम सौभाग्य देवी था। परमप्रतापी शासक Rana Kumbha का जन्म मेवाड़ के सिसोदिया राजपूत वंश में था। बचपन से ही बालक कुम्भकर्ण बलशाली और निडर था और कलाप्रेम तो विरासत में पिता मोकल से मिले थे। जब पिता की हत्या के बाद Rana Kumbha मेवाड़ की राजगद्दी पर बैठे थे, तब सबसे पहले पिता के हत्यारों से चुन-चुनकर बदला लिया और सभी को मौत के घाट उतार अपना प्रण पूरा किया था।
अपने पिता के हत्यारों को शरण देने वाले मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी को भी राणा कुम्भा ने सारंगपुर के निकट बुरी तरह हराया और इसी विजय की याद में और अपने सैनिको के शौर्य को अंकित करने हेतु चितौड़गढ़ दुर्ग में प्रसिद्ध विजयस्तम्भ का निर्माण करवाया था। अपने प्रारंभिक शासनकाल में ही Rana Kumbha ने नागौर, सारंगपुर, अजमेर, मण्डौर, खाटू और बूंदी जैसे सुदृढ़ मजबूत रियासतों पर अपना कब्ज़ा कर विजय पताका लहरा दी थी।
साम्राज्य विस्तार की महत्वकांशा के कारण ही उन्होंने दिल्ली के बादशाह सैयद मुहम्मद शाह और एक मजबूत राज्य गुजरात के सुल्तान अहमदशाह को भी परास्त कर अपना लोहा सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनवा दिया था। एक समय में महाराणा कुम्भा की ख्याति इतनी हो गई थी की कोई भी सुल्तान और राजा उनसे टकराने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। Rana Kumbha के सैकड़ो दुश्मन बन चुके थे, और मालवा और गुजरात के सुल्तान ने मिलकर मेवाड़ पर कई बार आक्रमण किया किन्तु हर बार उनको मेवाड़ से पराजय का मुख देखना पड़ा।
राणा कुम्भा एक महान शासक
अपने पिता की हत्या के बाद मेवाड़ की राजगद्दी पर जब बैठे थे तो सबसे पहले गद्दारो को सजा दी थी, और मेवाड़ के कट्टर शत्रु मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी को परास्त कर उनके क्षेत्र को अपने कब्जे करके चितौड़गढ़ में विजयस्तम्भ का निर्माण करवाया था। इससे भारत और राजपूत इतिहास में वह एक महान शासक के रूप में विख्यात हुवे। राणा कुम्भा को भारतीय स्थापत्य कला से बहुत अधिक प्रेम था, मेवाड़ में उन्होंने करीब 32 किलो का निर्माण करवाया था। जिसमे कुम्भलगढ़ किला विश्व में सबसे मजबूत किलो में से एक है।
अपनी वीरता और शौर्य के बल पर ही Rana Kumbha ने मध्यकालीन इतिहास के राजाओं में अपना नाम श्रेष्ठ शासको में दर्ज करवाया था। राणा कुम्भकर्ण ने मेवाड़ में अनेकों किले, महल, मंदिर और तालाबों का निर्माण करवाया था जो उन्हें एक कला और संस्कृति को पसंद करने वाले शासक के रूप में भी दर्शाता है।
राणा कुम्भा का इतिहास – Rana Kumbha History
महाराणा मोकल की मृत्यु के बाद सं 1433 को महाराणा कुम्भा का राज्याभिषेक हुवा था। मेवाड़ के शत्रुओं ने कई बार अपना राज्य हासिल करने हेतु राणा कुम्भा के साम्राज्य पर आक्रमण किया था किन्तु उन्हें हर बार हार कर भागना पड़ा था। उन्होंने अपने निकटतम राज्य आबू से जब खतरा महसूस हुवा तब उन्होंने आबू के देवड़ा राजा को परास्त करके आबू को भी अपने अधीन कर लिया था।
राणा ने अपनी पत्नी कुम्भलदेवी की याद में एक मजबूत कुम्भलगढ़ किले का निर्माण करवाया था, इस किले की दिवार की लम्बाई 36km है, जो की चीन दी दिवार के बाद दूसरे नंबर पर आती हे। महाराणा प्रताप का जन्म भी इसी किले में हुवा था
राणा कुम्भा से जुड़े रोचक तथ्य
- राणा कुम्भा को इतिहास में कई उपाधिया प्राप्त है जैसे अभिनवभृताचार्य, राणेराय, रावराय, हालगुरू, शैलगुरू, दानगुरू, छापगुरू, नरपति, परपति, गजपति, अश्वपति, हिन्दू सुलतान, नांदीकेशवर आदि।
- Rana Kumbha को इतिहास में केवल एक कुशल शासक ही नहीं अपितु कला प्रेमी और एक साहित्यकार के रूप में भी जाना जाता है , उनकी प्रसिद्ध रचना “संगीत राज” को भारतीय संगीत साहित्य का एक मजबूत आधार स्तम्भ कहाँ जाता है।
- महाराणा कुम्भा ने कुल 32 दुर्गो का निर्माण करवाया था जिनमे कुभलगढ़, अलचगढ़, मचान दुर्ग, भौसठ दुर्ग, बसन्तगढ़ को प्रमुख माना जाता है।
- कुम्भलगढ़ किले में राणा ने 300 से अधिक मंदिरो का निर्माण करवाया था, सास बहू का मन्दिर तथा सूर्य मन्दिर जिनमे विशेष स्थान रखते हे।
- राणा ने हिंदुत्व की पताखा को सम्पूर्ण भारतवर्ष में लहराने का कठिन परिश्रम किया था, उन्होंने मालवा के सुल्तान, गुजरात, नागौर और दिल्ही जैसी शक्तिशाली मुस्लिम रियासतों को धूल चटाई थी और अपना कब्ज़ा कर लिया था।
राणा कुम्भा की मृत्यु और मेवाड़
सं 1473 ई. में राणा कुम्भा की मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद उनका बेटा उदयसिंह मेवाड़ की राजगद्दी पर बैठा था। किन्तु वह एक कमजोर शासक था इस कारण परिवार और राज दरबार के विरोध से उसको राजगद्दी त्याग नी पड़ी। उसके बाद उदयसिंह का छोटा भाई राजमल मेवाड़ का शासक बना, जिन्होंने मेवाड़ पर 36 वर्षो तक शासन किया। राणा राजमल की मृत्यु के बाद उनका बेटा संग्रामसिंह “राणा सांगा” मेवाड़ के प्रतापी शासक हुवे थे।
FAQ’s
विजय स्तम्भ का निर्माण किसने करवाया था?
राणा कुम्भा ने मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर अपनी जीत की याद में 1442 ईस्वी और 1449 ईस्वी के मध्य में “विजय स्तम्भ” का निर्माण करवाया था।
राणा कुंभा के समय दिल्ली का शासक कौन था?
Rana Kumbha एक साम्राज्य विस्तारवादी शासक थे, इसलिए उन्होंने अपने से बड़ी रियासतों को अपने कब्जे में करना शुरू किया था। इसी क्रम में उन्होंने दिल्ली पर भी आक्रमण किया था तब दिल्ली का शासक सैयद मुहम्मद शाह था, उन्होंने बादशाह को भी परास्त कर दिल्ही पर अधिकार कर लिया था।
राणा कुम्भा के कितने बेटे थे?
राणा कुम्भा के दो बेटे थे जिनमे एक नाम उदयसिंह और दूसरे का नाम राजमल था। राणा की एक बेटी रमाबाई नामक राजकुमारी भी थी।
राणा कुम्भा की क्या उपलब्धिया थी?
राणा कुम्भा को हिंदुस्तान भी कहाँ जाता है, क्योकि उन्होंने समस्त भारत में हिंदुत्व की विजय पताखा लहराकर तत्कालीन सुल्तानों के मन में भय भर दिया था, उन्होंने चित्तौडग़ढ़ किले में विजय स्तम्भ का निर्माण करवाया और सैकड़ो मंदिर, तालाब और किलो का निर्माण करवाया था।
राणा कुम्भा की लम्बाई कितनी थी?
ऐतिहासिक तथ्यों और दन्त कथाओ के अनुसार Rana Kumbha की लम्बाई 9ft थी, जो एक असाधारण योद्धा होने का प्रमाण दर्शाती है।
क्या जाना राणा कुम्भा के विषय में : निष्कर्ष
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“स्वच्छता का करोगे जब काम, विकसित राष्ट्रों में आएगा अपना नाम “