राजस्थान के प्रमुख मंदिर – Temple of Rajasthan | Top 20 Most Famous Temple in Rajasthan Hindi
राजस्थान के प्रमुख मंदिर। भारतीय उपमहाद्वीप में अगर हम नजर डाले तो राजस्थान का विशेष महत्व है। राजस्थान में चारो तरफ किले, बावड़िया और मंदिरो के भंडार पाए जाते है। राजस्थान सदा से ही कलाप्रेमी और धार्मिक विचारो वाला राज्य रहा है। यहाँ के ऐतिहासिक किलों और मंदिरो में गहरा राज छुपा हुवा है, जिन्हे शायद ही कोई जान पायेगा।
Temple of Rajasthan आज हम आपको राजस्थान के प्रमुख मंदिर की सूचीबद्व जानकारी देने जा रहे है, इन मंदिरो का धार्मिक महत्व तो है ही साथ में भारत भ्रमण को आने वाले प्रयटकों के आकर्षण का केन्द्र भी है। आप इस लेख पर आ गए हो इसका मतलब आपको राजस्थान के मंदिरो के विषय में जानना पसंद है, अतः कृपा इस लेख को पूरा जरूर पढ़ना। आशा है जानकारी पसंद आएगी :-
1. खाटू श्याम जी मंदिर, सीकर ( Khatu Shyam Ji Famous Temple in Rajasthan in Hindi )
राजस्थान के प्रमुख मंदिर में खाटू श्याम जी मंदिर का विशेष स्थान है। इस ऐतिहासिक मंदिर से आस्था का जुड़ाव प्राचीन महाभारत काल से है, इस मंदिर में महाबली भीम के पोते बर्बरीक की पूजा श्याम स्वरुप में की जाती है, महाभारत काल में भगवन श्री कृष्णा के वरदान और बर्बरीक के बलिदान के कारण कलयुग में बर्बरीक को श्याम के रूप में पूजा जायेगा यह उल्लेख महाभारत महाकाव्य में मिलता है।
खाटू श्याम जी मंदिर में फाल्गुन माह की ग्याहरस से अगले पांच दिवस तक यहाँ मैला लगता है, जिसमे लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है। आप यहाँ दर्शन करने पुरे वर्ष आ सकते है, श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु मंदिर प्रातः 5 बजे से 10 बजे तक खुला रहता है, एवं संध्या के समय 4 बजे से लेकर रात्रि 9 बजे तक दर्शन के लिए खोला जाता है।
कैसे पहुँचे खाटू श्याम जी मंदिर ?
आप यहाँ दर्शन के लिए तीनो बड़े साधनो का उपयोग करके आराम से खाटू श्याम से मंदिर पहुँच सकते है, राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 80 किलोमीटर दुरी पर स्थित होने से यहाँ से सीधे आप बस और ट्रेन से तो पहुँच ही सकते हे। हवाई यात्रा से भी आराम से आ सकते है। अगर आप पर्सनल गाड़ी से आते हे तो खाटू श्याम जी मंदिर जयपुर से सीकर जाने वाले नेशनल हाइवे पर जयपुर से 80 पड़ता है।
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2. श्री करणी माता मंदिर, देशनोक – बीकानेर ( Shri Karni Mata Mandir, Deshnoke – Bikaner )
राजस्थान के सभी दर्शनीय मंदिरो में श्री करणी माता मंदिर का स्थान विशेष है। यह मंदिर बीकानेर से करीब 32 किलोमीटर की दुरी पर देशनोक नमक कसबे में स्थित है। श्री करणी माता मंदिर को चूहों वाला मंदिर भी कहाँ जाता है, कहते है की यहाँ 30 हजार से अधिक चूहे इस मंदिर में रहते है।
माँ करणी को हिंगलाज माता का अवतार माना जाता है, ज्ञान तथ्यों के अनुसार श्री करणी माता संवत 1595 की चैत्र शुक्ल नवमी गुरुवार को ज्योर्तिलीन हुई थी, इसके पश्च्यात 1595 की चैत्र शुक्ला चतुर्दशी को इस मंदिर परिसर में माता करणी की विधिवत पूजा अर्चना शुरू की गई थी। राजस्थान के प्रमुख मंदिर
3. राजस्थान के प्रमुख मंदिर सालासर बालाजी मंदिर ( Salasar Balaji Temple Famous Temple in Rajasthan in Hindi )
सालासर बालाजी मंदिर का स्थान राजस्थान के प्रमुख मंदिर में आता है, भारत में 3 बड़े हनुमान जी मंदिरो में से एक सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है।
श्री सालासर बालाजी मंदिर में वैसे तो पुरे साल भक्तो का ताँता लगा रहता है, किन्तु आश्विन शुक्ल चतुर्दशी और पूर्णिमा को जब यहाँ मेला लगता है। तब श्रद्धालुओं की संख्या लाखो में पहुँच जाती है। 1754 ईस्वी में निर्मित सालासर बालाजी मंदिर दाढ़ी मूछ वाला भारत का एकमात्र मंदिर है। दंतकथाओं के अनुसार आसोटा गांव में महात्मा श्री मोहनदास जी को हल चलाते समय दाढ़ी-मूंछ युक्त हनुमान जी की मूर्ति मिली थी, फिर उन्होंने सुजानगढ़ तहसील के सालासर गांव में सालासर बालाजी का मंदिर बनवाया था।
4. ब्रह्माजी का मंदिर, पुष्कर ( अजमेर )
राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिर में से अग्रणी स्थान पर है, भगवान ब्रह्मा जी का पुष्कर स्थित मंदिर। पुरे भारत में ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर पुष्कर में ही विराजमान है। तीर्थराज पुष्कर को सभी तीर्थो का राजा भी कहाँ जाता है।
पुष्कर के ब्रह्माजी मंदिर में प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमे लाखो श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है। ब्रह्मा जी का यह प्राचीन मंदिर 5000 साल से भी पुराना बताते है। पौराणिक गाथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्माजी ने लोक कल्याण हेतू यहाँ यज्ञ किया था, किन्तु यज्ञ के समय जब ब्रह्माजी की पत्नी गायत्री जी समय पर नहीं पहुँच पाई थी।
तब ब्रह्माजी ने किसी स्थानीय कन्या से विवाह करके उसके साथ यज्ञ को पूर्ण किया था, किन्तु जब गायत्री जी ने ब्रह्माजी को किसी अन्य औरत के साथ देखा, तब उन्होंने ब्रह्माजी को श्राप दिया की उनकी पूजा कही भी नहीं होगी। तब सभी देवी-देवताओ के समझाने से गायत्री जी ने केवल पुष्कर में पूजा होने का वरदान दिया। कहते है उसके बाद से ही ब्रह्माजी स्वयं पुष्कर में विराजमान है। राजस्थान के प्रमुख मंदिर
5. राजस्थान के प्रमुख मंदिर श्री जीण माता मंदिर, सीकर ( Jeen Mata Temple, Sikar Famous Temple in Rajasthan in Hindi )
श्री जीण माता मंदिर आस्था का बड़ा केन्द्र है। करीब 1000 साल से भी पुराना यह मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में सीकर से 29 किलोमीटर दक्षिण दिशा में घांघू नामक गाँव में स्थित है।
अरावली पर्वत श्रेणी में संगमरमर पत्थर से निर्मित श्री जीण माता मंदिर भक्तों की आस्था से जुड़ा है, श्री जीण माता को माँ दुर्गा का अवतार माना जाता है। श्री जीण माता का जन्म चौहान राजपूत वंश में हुवा था, कथा अनुसार एक बार जीण माता और उनकी भाभी में कुछ ग़लतफ़हमी के कारण मनमुटाव हो गया था।
इससे व्यथित होकर श्री जीण भवानी अरावली पर्वत के काजल शिखर पर विराजमान होकर तपस्या में लीन हो गई, इस बात का पता जब जीण माता के भाई हर्ष को पता लगा तो वह भी माता के पीछे चले गये और वही विराजमान हो गए। इसके बाद ही जीण माता को अपने दिव्य स्वरुप की प्राप्ति हुई, और जन-जन में पूज्य हुई।
6. बिड़ला मंदिर, जयपुर ( Birla Temple, Jaipur ) राजस्थान के प्रमुख मंदिर
राजस्थान के प्रमुख मंदिर में से एक जयपुर में स्थित बिड़ला मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 1998 में बिड़ला परिवार द्वारा किया गया था। जयपुर की प्रसिद्ध मोती डूंगरी पहाड़ी की तलहटी में बना यह सफ़ेद संगमरमर पत्थर से निर्मित यह अद्भुत मंदिर देखने में बहुत मनमोहक है।
जब इस मंदिर के निर्माण के लिए जमीन की आवश्यकता थी, तब जयपुर के महाराजा ने अपनी संपत्ति में से जमीन बिड़ला परिवार को मात्र 1 रूपए टोकन में दे दी थी। यह प्रसिद्ध मंदिर लक्ष्मी-नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। जयपुर पर्यटको के लिए हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रहा है, इसलिए बिड़ला मंदिर में भी प्रतिदिन देश-विदेश से सैकड़ो लोग आते है, मंदिर दर्शन हेतू।
7. कैला देवी मंदिर, करौली – राजस्थान के प्रमुख मंदिर
कैला देवी मंदिर का स्थान राजस्थान के प्रमुख मंदिर में एक है, यह मंदिर करौली से 25 किलोमीटर दुरी पर स्थित कैला नामक गांव में अरावली पर्वत श्रेणी की एक सुन्दर त्रिकूट श्रेणी की मनमोहक पहाड़ी की तलहटी में इस भव्य मंदिर का निर्माण जादौन वंश के राजा ने 1600 ईस्वी के करीब करवाया था। इस मंदिर का निर्माण सफ़ेद संगमरमर पत्थर से किया गया है। मंदिर परिसर में दो सुन्दर मूर्तियाँ स्थापित की गई है, एक सिंह पर सवार कैला देवी की और दूसरी चामुंडा देवी की।
8. गलताजी मंदिर, जयपुर। राजस्थान के प्रमुख मंदिर
राजस्थान के प्रमुख मंदिर में विशेष स्थान रखने वाला जयपुर स्थित गलताजी मंदिर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मंदिर जयपुर शहर से 10 किलोमीटर की दुरी पर स्थित गुलाबी बलुए पत्थर से निर्मित अत्यंत सुन्दर मंदिर है।
इस मंदिर का निर्माण 16वी. शताब्दी के करीब बताया गया है। किन्तु ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार सतयुग में संत गालव नामक ऋषि ने यहाँ 100 वर्षो से अधिक तपस्या की थी। उन्होंने देवी-देवताओ को प्रसन्न करके पवित्र गंगा को यहाँ प्रकट किया था, जो यहाँ स्थित गौ मुख से पुरे वर्ष प्रवाहित होती है।
गलताजी मंदिर के भव्य प्राकर्तिक झरनो के प्रवित्र जल में स्नान करने यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ पुरे वर्ष उमड़ती रहती है। अगर आप भी यहाँ दर्शन हेतु आना चाहते है तो सावन और बारिश का मौसम श्रेष्ठ होगा।
9. ओम बन्ना मंदिर, पाली ( Om Banna Temple, Pali – Bullet Baba Mandir )
ओम बन्ना मंदिर को चमत्कारी बुलेट बाबा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। आमजन की आस्था से जुड़ा यह मंदिर जोधपुर से पाली रोड़ पर NH 65 में स्थित है। पाली हाइवे पर रोहिट थाना क्षेत्र में निर्मित ओम बन्ना सा देवरे पर प्रतिदिन सैकड़ो श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हे।
यह चमत्कारी मंदिर विश्व का एकमात्र मंदिर है, जहाँ किसी बुलेट मोटरसाइकिल की पूजा होती है। 1988 में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु के बाद से शुरू हुई थी, श्री ओम बन्ना सा के चमत्कारों की गाथा। मृत्यु के बाद भी ओम बन्ना सा को हाइवे पर कई दुर्घटना ग्रस्त लोगो की सहायता करते देखा गया, और बुलेट को अपने आप दुर्घटना स्थल में आना भी लोगो के मन में आस्था का घर कर गया थे, आज श्री ओम बन्ना की आस्था पुरे विश्व में फैली है।
10. तनोट माता मंदिर, जैसलमेर ( Tanot Mata Temple, Jaisalmer )
इस चमत्कारी मंदिर के चर्चे तो सम्पूर्ण विश्व में फैले है। जी हाँ यह वही मंदिर है, जिसपर पाकिस्तान ने 4000 से अधिक बम गिराए थे, किन्तु तनोट माता के चमत्कार से एक भी बम नहीं फटा था, आज भी सभी मिसाइल बम मंदिर परिसर में बने म्यूजियम में सुरक्षित रखे हुवे है।
श्री तनोटराय माता को हिंगलाज माता का ही रूप माना जाता है। माँ आवड़ के इस स्वरुप को भाटी राजपूत शासक नरेश तणुराव ने वि॰सं॰ 828 में मंदिर बनवाकर यहाँ स्थापित किया था। जैसलमेर से करीब 120 किलोमीटर की दुरी पर स्थित यह मंदिर अपने आप में एक चमत्कार की गाथा हे, आज इस मंदिर का सारा रख रखाव और पूजा अर्चना BSF के जवानो के हाथो में है।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर ( Famous Temple in Rajasthan in Hindi )
- चिंतामणि मंदिर, बीकानेर – राजस्थान।
- चामुंडा माता मंदिर, मेहरानगढ़ किला – जोधपुर।
- किराडू मंदिर, बाड़मेर ( राजस्थान का खजुराहो )
- नागणेची माता मंदिर, बाड़मेर ( राठौड़ राजवंश की कुलदेवी )
- गोविन्ददेवजी मंदिर, जयपुर।
- काली माता मंदिर, चितौड़गढ़ किला ( मेवाड़ )
- सांवलिया सेठ मंदिर, मंडफिया गांव – चितौड़गढ़।
- नीलकंठ महादेव मंदिर, राजगढ़ – अलवर।
- मनसा माता मंदिर, उदयपुरवाटी – झुंझुनू।
- शाकम्भरी माता मंदिर, सांभर – जयपुर।
- जमवाय माता मंदिर, जमवारामगढ़ – जयपुर।
- बाबा रामदेव जी मंदिर, जैसलमेर।
- सुंधा माता मंदिर, जालौर।
- मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, दौसा।
- सास-बहु मंदिर, उदयपुर।
- रानीसती मंदिर, झुंझुनू।
- कैवाय माता मंदिर, किणसरिया – परबतसर ( नागौर )
- भंवाल माता मंदिर, भंवाल-मेड़ता (नागौर )
- लोहागर्ल जी मंदिर, उदयपुरवाटी – झुंझुनू।
- मोती डूंगरी गणेश मंदिर, जयपुर।
- भटियाणी माजीसा मंदिर, जसोल।
FAQ’s राजस्थान के प्रमुख मंदिर
राजस्थान का खजुराहों कौनसे मंदिर को कहाँ गया है?
बाड़मेर से 43 किलोमीटर दूर हाथमा गांव स्थित किराडू मंदिर को राजस्थान का खजुराहो कहाँ गया है। 1000 ईस्वी में निर्मित यह 5 मंदिरो की श्रृंखला अपनी स्थापत्य कला के लिए विश्व में प्रसिद्ध है।
ढाई प्याला मदिरा पिने वाला चमत्कारी मंदिर कौनसा है?
नागौर जिले के मेड़ता सिटी से 25 किमी. की दुरी पर स्थित भंवाल नामक गांव में स्थित है, भंवाल माता महाकाली का चमत्कारी मंदिर। भंवाल माता मंदिर को ढाई प्याला पिने वाली माता के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
महाभारत के योद्धा बर्बरीक का मंदिर कहाँ स्थित है?
जयपुर से करीब 80 किलोमीटर सीकर रोड़ पर स्थित खाटू श्यामजी मंदिर को महाभारत के भीम के पौत्र बर्बरीक का मंदिर माना जाता है। बर्बरीक को अपने बलिदान स्वरुप श्री कृष्णा ने कलयुग में उनके नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। हारे का सहारा बाबा खाटू श्याम जी हमारा।
Note :- राजस्थान बहुत ही विशाल राज्य है और राजस्थान के प्रमुख मंदिर की लिस्ट भी बहुत बड़ी हो सकती है, इसलिए हमने इस लेख में केवल पाठकों की पसंद हेतु अपने अनुसार एक लिस्ट तैयार की है जो सभी को कुछ जानकारी प्रदान करे।